नमस्कार दोस्तो, जैसा की आप जानते है दुनिया को अपने विचारो से नया रास्ता दिखाने वाले भगवान गौतम बुद्ध भारत के महान दार्शनिक, वैज्ञानिक, धर्मगुरु, एक महान समाज सुधारक और बौद्ध धर्म के संस्थापक थे.
आज हम भगवान गौतम बुद्ध की जीवनी और उनके कुछ अनमोल वचन आपको बताने जा रहे है जिससे आप भी गौतम बुद्ध के उपदेशो का पालन कर सकते हैं।
भगवान गौतम बुद्ध का जीवन परिचय :-
उनका जन्म 563 ईस्वी पूर्व के बीच शाक्यगणराज्य की तत्कालीन राजधानी कपिलवस्तु के निकट लुम्बिनी में हुआ था, जो नेपाल में है। लुम्बिनी वन नेपाल के तराई क्षेत्र में कपिलवस्तु और देवदह के बीच नौतनवा स्टेशन से 8 मील दूर पश्चिम में रुक्मिनदेई नामक स्थान के पास स्थित था।
कपिलवस्तु की महारानी महामाया देवी के अपने देवदह जाते हुए रास्ते में प्रसव पीड़ा हुई जिसमे एक बालक का जन्म हुआ था। गौतम गौत्र में जन्म लेने के कारण वे गौतम बुद्ध कहलाये। इनके पिता शुदोधन एक राजा थे इनकी माता माया देवी कोली वंश की महिला थी लेकिन बालक के जन्म देने के बाद 7 दिन के अंदर माया देवी की मृत्यु हो गयी थी.
जिसके बाद उनका पालन पोषण उनकी मौसी और शुद्दोधन की दूसरी रानी महाप्रजावती (गौतमी)ने किया। बालक का नाम सिद्धार्थ रखा गया, जिसका अर्थ है “वह जो सिद्धी प्राप्ति के लिए जन्मा हो”।
सिद्धार्थ बचपन से बहुत की दयालु और करुणा वाले व्यक्ति थे, सिद्धार्थ जब खेलते थे तब खेल में भी सिद्धार्थ को खुद हार जाना पसंद था क्योंकि किसी को हराना और किसी का दुःखी होना उससे नहीं देखा जाता था। सिद्धार्थ का एक चचेरा भाई भी हैं जिसका नाम हैं देवदत्त हैं. एक बार देवदत्त ने अपने धनुष से एक बाण चलाया था जिससे एक पक्षी हंस घायल हो गया था और बाद में सिद्धार्थ ने उस घायल हंस की रक्षा की थी.
भगवान गौतम बुद्ध की शिक्षा, विवाह और तपस्या :–
सिद्धार्थ ने अपनी शिक्षा गुरु विश्वामित्र से पूरी की उन्होंने वेद और उपनिषद के साथ-साथ राजकाज और युद्ध-विद्या की भी शिक्षा ली। सिद्धार्थ को बचपन से ही कुश्ती, घुड़दौड़, तीर-कमान, रथ हाँकने में महान थे, कोई उसकी बराबरी नहीं कर पाता। सोलह वर्ष की उम्र में सिद्धार्थ का कन्या यशोधरा के साथ विवाह हुआ। पिता द्वारा ऋतुओं के अनुरूप बनाए गए वैभवशाली और समस्त भोगों से युक्त महल में वे यशोधरा के साथ रहने लगे जहाँ उनके पुत्र राहुल का जन्म हुआ। लेकिन विवाहके बाद उनका मन वैराग्यमें चला और सम्यक सुख-शांतिके लिए उन्होंने आपने परिवार का त्याग कर दिया।
राजा शुद्धोधन ने सिद्धार्थ के लिए भोग-विलास का भरपूर प्रबंध कर दिया। तीन ऋतुओं के लायक तीन सुंदर महल बनवा दिए। वहाँ पर नाच-गान और मनोरंजन की सारी सामग्री जुटा दी गई। दास-दासी उसकी सेवा में रख दिए गए। पर ये सब चीजें सिद्धार्थ को संसार में बाँधकर नहीं रख सकीं। सिद्धार्थ ने अपनी सुंदर पत्नी और सुंदर बालक को छोड़कर वन की ओर चले जाने का निश्चय किया.
सिद्धार्थ घूमते-घूमते आलार कालाम और उद्दक रामपुत्र के पास पहुँचे। उनसे योग-साधना सीखी। समाधि लगाना सीखा। पर उससे उसे संतोष नहीं हुआ। वह उरुवेला पहुँचे और वहाँ पर तरह-तरह से तपस्या करने लगे। सिद्धार्थ ने पहले तो केवल तिल-चावल खाकर तपस्या शुरू की, बाद में कोई भी आहार लेना बंद कर दिया। शरीर सूखकर काँटा हो गया। छः साल बीत गए तपस्या करते हुए।
सिद्धार्थ की तपस्या सफल नहीं हुई। शांति हेतु बुद्ध का मध्यम मार्ग : एक दिन कुछ स्त्रियाँ किसी नगर से लौटती हुई वहाँ से निकलीं, जहाँ सिद्धार्थ तपस्या कर रहा थे। उनका एक गीत सिद्धार्थ के कान में पड़ा- ‘वीणा के तारों को ढीला मत छोड़ दो। ढीला छोड़ देने से उनका सुरीला स्वर नहीं निकलेगा। पर तारों को इतना कसो भी मत कि वे टूट जाएँ।’ बात सिद्धार्थ को जँच गई। वह मान गये कि नियमित आहार-विहार से ही योग सिद्ध होता है। अति किसी बात की अच्छी नहीं। किसी भी प्राप्ति के लिए मध्यम मार्ग ही ठीक होता है ओर इसके लिए कठोर तपस्या करनी पड़ती है।
भगवान गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति :-
वैशाखी पूर्णिमा के दिन सिद्धार्थ वटवृक्ष के नीचे ध्यानस्थ थे। समीपवर्ती गाँव की एक स्त्री सुजाता को पुत्र हुआ। उसने बेटे के लिए एक वटवृक्ष की मनौती मानी थी। वह मनौती पूरी करने के लिए सोने के थाल में गाय के दूध की खीर भरकर पहुँची। सिद्धार्थ वहाँ बैठा ध्यान कर रहा था। उसे लगा कि वृक्षदेवता ही मानो पूजा लेने के लिए शरीर धरकर बैठे हैं।
सुजाता ने बड़े आदर से सिद्धार्थ को खीर भेंट की और कहा- ‘जैसे मेरी मनोकामना पूरी हुई, उसी तरह आपकी भी हो।’ उसी रात को ध्यान लगाने पर सिद्धार्थ की साधना सफल हुई। उसे सच्चा बोध हुआ। तभी से सिद्धार्थ ‘बुद्ध’ कहलाए। जिस पीपल वृक्ष के नीचे सिद्धार्थ को बोध मिला वह बोधिवृक्ष कहलाया और गया का समीपवर्ती वह स्थान बोधगया।
गौतम बुद्ध के उपदेश :–
भगवान बुद्ध ने लोगो को मध्यम का रास्ता अपनाने का उपदेश दिया. उन्होंने दुःख उसके कारण और निरावरण के लिये अहिंसा पर बहुत जोर दिया. जीवों पर दया करो.. गौतम बुद्ध ने हवन और पशुबलि की जमकर निंदा की हैं. बुद्ध के कुछ उपदेशों के सार इस प्रकार हैं-
- महात्मा बुद्ध ने सनातन धरम के कुछ संकल्पनाओं का प्रचार किया, जैसे अग्निहोत्र तथा गायत्री मन्त्र
- ध्यान तथा अन्तर्दृष्टि
- मध्यमार्ग का अनुसरण
- चार आर्य सत्य
- अष्टांग मार्ग
भगवान गौतम बुद्ध के कुछ अनमोल वचन:-
“अच्छी चीजों के बारे में सोचें – हम वही बनते हैं जो हम सोचते हैं, इसलिए सकारात्मक बातें सोचें और खुश रहें।”-गौतम बुद्ध
“बिना सेहत के जीवन, जीवन नहीं है; बस पीड़ा की एक स्थिति है – मौत की छवि है।”-गौतम बुद्ध
“एक निष्ठाहीन और बुरे दोस्त से जानवरों की अपेक्षा ज्यादा भयभीत होना चाहिए ; क्यूंकि एक जंगली जानवर सिर्फ आपके शरीर को घाव दे सकता है, लेकिन एक बुरा दोस्त आपके दिमाग में घाव कर जाएगा।”-गौतम बुद्ध
“अतीत पर ध्यान केन्द्रित मत करो, भविष्य का सपना भी मत देखो, वर्तमान क्षण पर ध्यान केंद्रित करो |”-गौतम बुद्ध
“चतुराई से जीने वाले लोगों को मौत से भी डरने की जरुरत नहीं है |“-गौतम बुद्ध
“वह व्यक्ति जो 50 लोगों को प्यार करता है, 50 दुखों से घिरा होता है, जो किसी से भी प्यार नहीं करता है उसे कोई संकट नहीं है |“-गौतम बुद्ध
“आप चाहे कितने भी पवित्र शब्दों को पढ़ या बोल लें, लेकिन जब तक उनपर अमल नहीं करते उसका कोई फायदा नहीं है |”-गौतम बुद्ध
“जीभ एक तेज चाकू की तरह बिना खून निकाले ही मार देता है |”-गौतम बुद्ध
“सत्य के रस्ते पर कोई दो ही गलतियाँ कर सकता है, या तो वह पूरा सफ़र तय नहीं करता या सफ़र की शुरुआत ही नहीं करता |”-गौतम बुद्ध
“हजारों दियो को एक ही दिए से, बिना उसके प्रकाश को कम किये जलाया जा सकता है | ख़ुशी बांटने से ख़ुशी कभी कम नहीं होती |”-गौतम बुद्ध
“तीन चीजों को लम्बी अवधि तक छुपाया नहीं जा सकता, सूर्य, चन्द्रमा और सत्य |”-गौतम बुद्ध
“अपने उद्धार के लिए स्वयं कार्य करें. दूसरों पर निर्भर नहीं रहें |”-गौतम बुद्ध
“अगर आप वाकई में अपने आप से प्रेम करते है,तो आप कभी भी दूसरों को दुःख नहीं पहुंचा सकते।”-गौतम बुद्ध
“असल जीवन की सबसे बड़ी विफलता है, हमारा असत्यवादी होना।”-गौतम बुद्ध
“इंसान के अंदर ही शांति का वास होता है,उसे बाहर ना तलाशें।”-गौतम बुद्ध
“खुशियों का कोई रास्ता नहीं, खुश रहना ही रास्ता है।”-गौतम बुद्ध
गुजरा वक्त वापस नहीं आता – हम अक्सर ऐसा सोचते हैं कि अगर आज कोई काम अधूरा रह गया तो वो कल पूरा हो जाएगा हालांकि जो वक्त अभी गुजर गया वो वापस नहीं आएगा।”-गौतम बुद्ध
“बुराई अवश्य रहनी चाहिए तब ही अच्छाई इसके ऊपर अपनी पवित्रता साबित कर सकती है।”-गौतम बुद्ध
“मंजिल या लक्ष्य तक पहुँचने से ज्यादा महत्वपूर्ण यात्रा अच्छे से करना होता है।”-गौतम बुद्ध
“हर अनुभव कुछ न कुछ सिखाता है – हर अनुभव महत्वपूर्ण है, क्योंकि हम अपनी गलतियों से ही सीखते हैं।”-गौतम बुद्ध
“मैं खुशी से मर सकता हूं। मैंने एक भी शिक्षण को बंद हाथ में नहीं रखा है। वह सब कुछ जो आपके लिए उपयोगी है, मैंने पहले ही दे दिया है। अपने स्वयं के मार्गदर्शक प्रकाश बनो। ”
अस्सी साल की उम्र में अपने शरीर को छोड़ते हुए बुद्ध