Hindi Shayari

हिंदी में अश्क़ शायरी

Written by WikiHi

हिंदी में अश्क़ शायरी | Ashq Shayari in Hindi

Hello Friends, आज के इस पोस्ट Ashq Shayari and quotes in Hindi में आप सभी को दी जा रही है कुछ बेहतरीन हिंदी में Ashq शायरी अर्थात Ashq Shayari in Hindi ताकि आप इसे पढ़ सकें और भेज सकें उन लोगों को जिनको इनकी जरुरत हो. तो आइये पढ़ते हैं हिंदी में तन्हाई शायरी.

Ashq Shayari in Hindi

आँखों में आँसू लेके होठों से मुस्कुराये,
हम जैसे जी रहे हैं कोई जी के तो बताये।

दर्द दे कर इश्क़ ने हमे रुला दिया,
जिस पर मरते थे उसने ही हमे भुला दिया,
हम तो उनकी यादों में ही जी लेते थे,
मगर उन्होने तो यादों में ही ज़हेर मिला दिया..

शायद तू कभी प्यासा फिर मेरी तरफ लौट आये,
आँखों में लिए फिरता हूँ दरिया तेरी खातिर।

गिरते हुऐ अश्क की कीमत न पूछना,
हर बूंद में लाखो सवाल हैं…

ज़िन्दगी तूने मुझे तोहफ़े बड़े अनमोल दिये हैं
अश्क़ जितने भी थे सब नाम मेरे तौल दिये हैं

समंदर में उतरता हूँ तो आँखे भीग जाती है तेरी आँखों को पढता हूँ तो आँखे भीग जाती है तुम्हारा नाम लिखने की इजाजत छीन गयी है जब से कोई भी लफ्ज लिखता हूँ तो आँखे भीग जाती है

आँख ने अश्क बहाए भी तो सूख जाएंगे
दिल की बस्ती में  ग़म  की धूप है बहुत

इश्क़ लिखने को इश्क़ होना बहुत जरूरी है
जहर का स्वाद बिना पिए कोई कैसे बताएगा :))

हमारे शहर आ जाओ सदा बरसात रहती है,
कभी बादल बरसते हैं कभी आँखें बरसतीं हैं।

टपक पड़ते हैं आँसू जब तुम्हारी याद आती है,
ये वो बरसात है जिसका कोई मौसम नहीं होता।

बेवफ़ाई का मुझे जब भी ख़याल आता है
अश्क़ रुख़सार पर आँखों से निकल जाते हैं

हर लम्हा हम उन्हें याद करते रहे उनकी याद में मर -मर के जीते रहे अश्क आँखों से हमारी बहते रहे हम अश्कों के जाम पीते रहे

हमने  तो  बहा  दिए हैं  “आकाश”  तमाम  अश्क  अपने
अब उसने हिसाब-ए-बेकरारी-ए-हिज्र माँगा तो देंगे कैसे

हम एस कदर तुम पर मर मिटेंगे
तुम जहाँ देखोगे तुम्हे हम ही दिखेंगे

मुझको लूट कर जाने वाले चले गए,
मेरी आँखों से नींद चुरा कर ले गये,
मोहब्बत की दिल से… तो आँसू गिरे,
लोग उन्हें मोती समझकर उठा ले गये।

कभी बरसात का मज़ा चाहो,
तो इन आँखों में आ बैठो,
वो बरसों में कभी बरसती है,
ये बरसों से बरसती हैं।

अश्क़ अच्छे ही तो हैं
मसला ग़म बहाने का अगर है,

ये रोशनी ये हवा क्या करूँ
मैं ज़माने की दुआ क्या करूँ
मेरी आँखों के अश्क़ रेत हुए
यार दरिया ना हुआ क्या करूँ

.वो बेगानो में अपने हम अपनों में अनजाने लगते है हमारे खून की भी कीमत नहीं उनके अश्कों के भी दाम लगते है

इश्क में  राएगाँ कुछ नही जाता
ये अश्क भी किसी काम आएंगे

शायरी उसी के लबों पर सजती है साहिब
जिसकी आँखों में इश्क़ रोता हो

आफताब की गर्मी से दरिया का पानी ख़त्म नहीं होता,
लैला के इंकार से मजनू का जज़्बा कम नहीं होता,
फ़िराक की मुसीबत हो या यार के वस्ल की लज़्ज़त,
किसी भी हाल में अश्कों का बहना काम नहीं होता।

आ देख मेरी आँखों के ये भीगे हुए मौसम,
ये किसने कह दिया कि तुम्हें भूल गये हम।

दो चार आँसू ही आते हैं पलकों के किनारे पे,
वर्ना आँखों का समंदर गहरा बहुत है।

गिरा पलकों से अश्क़ तो सोचा ना था,
रुख़सार पर हाथ तेरे संभाल लेंगे उन्हें !!

मेरी यादों की कश्ती उस समंदर में तैरती है जिस में पानी मेरी अपनी ही पलकों का होता है

अश्क ज़माने से अभी-अभी छुपा ना पाओगे तुम
बहुत वक़्त लगेगा  दिल को  ग़म से  निस्बत को

बड़ी अजीब सी मोहब्बत थी तुम्हारी…

पहले पागल किया…

फिर पागल कहा…

फिर पागल समझ कर छोड़ दिया.

मेरे ख़त में जो भीगी भीगी सी लिखावट है,
स्याही में थोड़ी सी मेरे अश्कों की मिलावट है।

वो अश्क बन के मेरी चश्म-ए-तर में रहता है,
अजीब शख़्स है पानी के घर में रहता है।

आया ही था खयाल कि आंखें छलक पड़ीं,
आंसू किसी की याद के कितने करीब हैं।

ग़मो से उलझकर मुस्कुराना मेरी आदत है
मुझे नाकामियों पे अश्क़ बहाना नहीं आता

सोचकर बाज़ार गये था..कुछ अश्क़ बेचने..
हर खरीददार बोला..तोहफे बिका नहीं करते…!

आँखों से  बगावत पे  उतर आता है
इक अश्क अक्सर बागी हो जाता है  ‘

जहाँ – जहाँ क़तरा-ए-अश्क गिरेगा
वहां – वहां इक आँख  उग आएगी’

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